गर्भवती महिलाओं का तेरहवीं में जाना क्यों है मना? बच्चे पर पड़ता है बुरा असर!
Credit: Hindi News Grow
आप लोगों ने अक्सर देखा होगा कि किसी मृत व्यक्ति के घर उसकी तेरहवीं तक गर्भवती महिलाओं को मना किया जाता है ताकि होने वाले बच्चे पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े.
क्यों जाना है मना
हिन्दू धर्म शास्त्रों में बच्चे के जन्म से पहले कई ऐसी परंपराएं हैं जिसका गर्भवती महिलाओं को खास ख्याल रखना पड़ता है. जिससे मां और बच्चा दोनों की सेहत अच्छी रहे.
ऐसी है परंपरा
मान्यता है कि जिस घर में किसी की मृत्यु होती है, वहां दुख का वातावरण होता है. ऐसे में जब कोई गर्भवती महिला उस जगह में जाती है, तो उस पर भी इस माहौल का असर पड़ता है.
इस माहौल का पड़ता है असर
गर्भवती महिला को मृत व्यक्ति का मुंह भी नहीं देखने दिया जाता है या उस घर में नहीं जाने दिया जाता है जहां किसी की मौत हुई हो, क्योंकि इसका बच्चे पर जल्द ही बुरा प्रभाव पड़ता है.
मृत व्यक्ति का नहीं देखा जाता मुंह
गर्भवती महिलाओं को कभी भी श्मशान घाट के आस-पास से नहीं गुजरना चाहिए. क्योंकि श्मशान में सबसे ज्यादा नेगेटिव एनर्जी होती हैं, जिसका बच्चे पर बुरा प्रभाव पड़ता है.
बच्चे पर पड़ता है बुरा प्रभाव
अगर किसी गर्भवती महिला की गोद भराई हो जाती है और उसे मायके भेज दिया जाता है तो गर्भवती महिला को मायके में भी घर से बाहर इधर-उधर नहीं घूमना चाहिए. इससे उनको लोगों की बुरी नजर लग सकती है.
लग जाती है बुरी नजर
ऐसी मान्यता है कि सातवें महीने के बाद गर्भवती महिला को कोई भी नदी और नाला को नहीं पार करना चाहिए. इससे बच्चे की सेहत पर नेगेटिव एनर्जी हावी हो जाती है. जिसके बुरे परिणाम देखने को मिलते हैं.