रामायण से क्यों गायब है हिंदी वर्णमाला का ये एक अक्षर?
हिंदू धर्म में रामायण ग्रंथ बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. रामायण को घर में रखने से लेकर इसका रोजाना पाठ करना बहुत लाभकारी माना गया है.
जहां एक ओर रामायण ग्रंथ से जुड़ी ऐसी कई बातें हैं जो आज भी एक रहस्य बनाए हुए हैं तो वहीं, रामायण से जुड़ा भी एक रहस्य जो आज भी अबूझ बना हुआ है.
दरअसल, संपूर्ण रामायण ग्रंथ में हिंदी वर्णमाला के एक अक्षर का इस्तेमाल नहीं किया गया है. आइए जानते हैं उस अक्षर के बारे में.
रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की थी जिन्होंने रामायण को संस्कृत भाषा में लिखा था. ऐसे में वाल्मीकि रामायण में वर्णमाला के हर अक्षर का प्रयोग किया गया है.
वहीं, तुलसी दास द्वारा रचित रामायण का नाम रामचरितमानस पड़ा. रामचरितमानस अवधि भाषा में लिखी गई है जिसमें वर्णमाला का एक अक्षर गायब है.
रामचरितमानस में 'श' अक्षर गायब है. तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में इसका प्रयोग नहीं किया. इसके पीछे का कारण है इसकी भाषा.
अवधि भाषा लिखते या बोलते समय 'श' के बदले 'स' का प्रयोग होता है. अवधी में जिन शब्दों में 'श'का प्रयोग होता है वहां भी 'स' से ही उसका उच्चारण किया जाता है.
इसलिए रामचरितमानस में हर वो शब्द जो 'श' से शुरू होता है या जिसमें 'श' आता है, वहां 'स' का इस्तेमाल किया गया है.
तुलसीदास जी ने अपनी रामायण में अवधी भाषा इसलिए चुनी ताकि जो लीलाएं संस्कृत में लोगों को समझ न आएं, वो जन भाषा के माध्यम से समझीं जा सकें.
इस प्रकार हिंदी वर्णमाला का श अक्षर रामचरितमानस में नहीं आया है.यह केवल संस्कृत के श्लोक में प्रयुक्त हुआ है. अवधि भाषा में केवल स और ष का ही प्रयोग किया जाता है.