Garuda Purana Katha in Hindi: गरुड़ पुराण एक हिंदू धार्मिक ग्रंथ है, यह पुराण भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ के नाम पर है. इस पुराण में किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद की यात्रा और नर्क, स्वर्ग आदि के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है. यह पुराण धर्म और कर्म के महत्व पर जोर देता है और बताता है कि हमारे कर्मों के आधार पर ही हमें फल प्राप्त होता है. गरुड़ पुराण में पूजा-पाठ और तीर्थ यात्रा के महत्व के बारे में भी बताया गया है. इसमें कई तरह के मंत्र और तंत्र भी दिए गए हैं जिनका जाप करने से लोगों को विशेष लाभ मिलता है. गरुड़ पुराण में योग और ध्यान के महत्व पर भी जोर दिया गया है. यह पुराण आध्यात्मिक ज्ञान का भंडार है. यह पुराण जीवन के रहस्यों को समझने में मदद करता है. यह पुराण लोगों को मोक्ष प्राप्त करने का मार्ग बताता है.
गरुड़ पुराण में व्यक्ति को धर्म के अनुसार कार्य करने के लिए प्रेरित किया गया है. इसमें बताया गया है कि मनुष्य धरती पर जो कर्म करता है, उसके आधार पर ही उसको फल मिलता है. इस पुराण में मनुष्य के कर्मों का लेखा-जोखा बताया गया है. गरुड़ पुराण के मुताबिक जो व्यक्ति मृत्यु के समय भगवान का नाम लेता है उसकी मुक्ति का मार्ग खुल जाता है.
18,000 श्लोकों का वर्णन
हिन्दू धर्म के पुराण साहित्यों में गरुड़ पुराण का महत्वपूर्ण स्थान है. गरुड़ पुराण का पाठ किसी मनुष्य के मृत्यु के पश्चात किया जाता है, जिससे मृत व्यक्ति को वैकुंठ लोक की प्राप्ति हो सके. गरुड़ पुराण में कुल 18,000 श्लोकों का वर्णन मिलता है. गरुड़ पुराण को तीन भागों में विभक्त किया गया है प्रथम मनुष्य जीवन काल में सुख दुख का अनुभव द्वितीय क्रर्मानुसार प्राप्त योनियां और तृतीया भाग में स्वर्ग नरक की प्राप्ति के संबंध में बताया गया है.
अठारह पुराणों में गरुड़महापुराण का अपना एक विशेष महत्व है. इसके अधिष्ठातृदेव भगवान विष्णु है. अतः यह वैष्णव पुराण है. गरूड़ पुराण में विष्णु-भक्ति का विस्तार से वर्णन है. भगवान विष्णु के चौबीस अवतारों का वर्णन ठीक उसी प्रकार यहां प्राप्त होता है, जिस प्रकार ‘श्रीमद्भागवत’ में उपलब्ध होता है. आरम्भ में मनु से सृष्टि की उत्पत्ति, ध्रुव चरित्र और बारह आदित्यों की कथा प्राप्त होती है. उसके उपरान्त सूर्य और चन्द्र ग्रहों के मंत्र, शिव-पार्वती मंत्र, इन्द्र से सम्बन्धित मंत्र, सरस्वती के मंत्र और नौ शक्तियों के विषय में विस्तार से बताया गया है. इसके अतिरिक्त इस पुराण में श्राद्ध-तर्पण, मुक्ति के उपायों तथा जीव की गति का विस्तृत वर्णन मिलता है.
‘गरूड़ पुराण’ के श्रवण का प्रावधान
पहले भाग में विष्णु भक्ति और उपासना की विधियों का उल्लेख है तथा मृत्यु के उपरान्त प्रायः ‘गरूड़ पुराण’ के श्रवण का प्रावधान है. दूसरे भाग में प्रेत कल्प का विस्तार से वर्णन करते हुए विभिन्न नरकों में जीव के पड़ने का वृत्तान्त है. इसमें मरने के बाद मनुष्य की क्या गति होती है, उसका किस प्रकार की योनियों में जन्म होता है, प्रेत योनि से मुक्त कैसे पाई जा सकती है, श्राद्ध और पितृ कर्म किस तरह करने चाहिए तथा नरकों के दारूण दुख से कैसे मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है, आदि का विस्तारपूर्वक वर्णन प्राप्त होता है.
महर्षि कश्यप के पुत्र पक्षीराज गरुड़ को भगवान विष्णु का वाहन कहा गया है. एक बार गरुड़ ने भगवान विष्णु से मृत्यु के बाद प्राणियों की स्थिति, जीव की यमलोक-यात्रा, विभिन्न कर्मों से प्राप्त होने वाले नरकों, योनियों तथा पापियों की दुर्गति से संबंधित अनेक गूढ़ एवं रहस्ययुक्त प्रश्न पूछे. उस समय भगवान विष्णु ने गरुड़ की जिज्ञासा शान्त करते हुए उन्हें जो ज्ञानमय उपदेश दिया था, उसी उपदेश का इस पुराण में विस्तृत विवेचन किया गया है.
गरुड़ के माध्यम से ही भगवान विष्णु के श्रीमुख से मृत्यु के उपरान्त के गूढ़ तथा परम कल्याणकारी वचन प्रकट हुए थे, इसलिए इस पुराण को ‘गरुड़ पुराण’ कहा गया है. श्री विष्णु द्वारा प्रतिपादित यह पुराण मुख्यतः वैष्णव पुराण है. इस पुराण को ‘मुख्य गारुड़ी विद्या’ भी कहा गया है. इस पुराण का ज्ञान सर्वप्रथम ब्रह्माजी ने महर्षि वेद व्यास को प्रदान किया था. तत्पश्चात् व्यासजी ने अपने शिष्य सूतजी को तथा सूतजी ने नैमिषारण्य में शौनकादि ऋषि-मुनियों को प्रदान किया था.
प्रेत योनि से बचने के उपाय
‘गरुड़ पुराण’ में प्रेत योनि और नरक में पड़ने से बचने के उपाय भी सुझाए गए हैं. उनमें सर्वाधिक प्रमुख उपाय दान-दक्षिणा, पिण्डदान तथा श्राद्ध कर्म आदि बताए गए हैं. एक तरफ गरुड पुराण में कर्मकाण्ड पर बल दिया गया है तो दूसरी तरफ ‘आत्मज्ञान’ के महत्त्व का भी प्रतिपादन किया गया है. परमात्मा का ध्यान ही आत्मज्ञान का सबसे सरल उपाय है. उसे अपने मन और इन्द्रियों पर संयम रखना परम आवश्यक है. इस प्रकार कर्मकाण्ड पर सर्वाधिक बल देने के उपरान्त ‘गरुड़ पुराण’ में ज्ञानी और सत्यव्रती व्यक्ति को बिना कर्मकाण्ड किए भी सद्गति प्राप्त कर परलोक में उच्च स्थान प्राप्त करने की विधि बताई गई है.