Karva Chauth 2024 Chand Dikhne Ka Sahi Samay: हिन्दू धर्म में करवा चौथ का व्रत सबसेअधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे जीवन में के लिए निर्जला उपवास रखती है. ये व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. इस दिन महिलाएं पूरे दिन बिना अन्न और जल ग्रहण किए पति की लंबी आयु के लिए उपवास करती है और रात को चांद देखने के बाद अपना व्रत तोड़ती करती हैं. करवा चौथ का पर्व पूरे उत्तर भारत में मनाया जाता है. उत्तर प्रदेश में भी इस पर्व की धूम देखने को मिलती है.
हिन्दू धर्म में करवा चौथ को सुहागिन स्त्रियों को सबसे बड़ा माना जाता है. ये व्रत सूर्योदय से लेकर रात में चंद्रोदय तक चलता हैं. महिलाएं इस दिन सोलह श्रृंगार करती है और अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत करती है. महिलाएं पूरा दिन न तो अन्न ग्रहण करती और न ही जल. रात को जब चंद्रोदय होता है तब महिला चांद अर्घ्य देकर पति की लंबी आयु की मंगल कामना करते हुए अपना उपवास पूरा करती है.
करवा चौथ पर चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 46 मिनट से प्रारंभ होगी और 21 अक्टूबर को सुबह 04 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में शाम होने के बाद से ही महिलाओं को चांद के निकलने का इंतजार रहता है. लेकिन, इस बार चांद देखने के लिए महिलाओं को ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा. इस बार रविवार को चंद्रमा का उदय शाम 7 बजकर 40 मिनट पर हो जाएगा. राजधानी दिल्ली-नोएडा से लेकर प्रयागराज और अयोध्या तक तमाम बड़े शहरों में चांद इस समय दिखाई देगा.
चंद्रदर्शन का समय | Chandra Darshan Ka Samay
करवा चौथ के उपवास में चांद की अहम भूमिका होती हैं, क्योंकि बिना इसके उपवास अधूरा होता है. पंचांग के अनुसार इस वर्ष करवा चौथ पर चांद निकलने का समय शाम 7 बजकर 44 मिनट का है. ऐसे में आप 7 बजकर 53 मिनट के बाद चंद्रमा की पूजा कर व्रत का पारण कर सकते हैं.
किस शहर में कब दिखेगा चांद
शहर का नाम |
चांद निकलने का समय |
लखनऊ | 07 बजकर 42 मिनट |
कानपुर | 07 बजकर 47 मिनट |
नोएडा | 07 बजकर 52 मिनट |
दिल्ली | 9 बजकर 10 मिनट |
प्रयागराज | 07 बजकर 42 मिनट |
अयोध्या | 07 बजकर 38 मिनट |
वाराणसी | 07 बजकर 32 मिनट |
बरेली | 07 बजकर 46 मिनट |
गाजियाबाद | 07 बजकर 52 मिनट |
आगरा | 07 बजकर 55 मिनट |
कोलकाता | 07 बजकर 46 मिनट |
देहरादून | 07 बजकर 09 मिनट |
अमृतसर | 07 बजकर 54 मिनट |
भोपाल | 08 बजकर 29 मिनट |
अहमदाबाद | 07 बजकर 38 मिनट |
चेन्नई | 08 बजकर 43 मिनट |
मुंबई | 08 बजकर 59 मिनट |
कुरुक्षेत्र | 08 बजे |
शिमला | 07 बजकर 47 मिनट |
जम्मू | 07 बजकर 52 मिनट |
पंजाब | 07 बजकर 48 मिनट |
बिहार | 08 बजकर 29 मिनट |
झारखंड |
08 बजकर 35 मिनट |
करवा चौथ पूजा-विधि | Karva Chauth Puja Vidhi
- करवा चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें.
- मंदिर और घर की साफ-सफाई करें और सभी देवी-देवताओं की विधि-विधान से पूजा करें.
- करवा चौथ व्रत रखने का संकल्प लें और पूरे दिन निर्जला व्रत रखें.
- संध्या के समय शुभ मुहूर्त में करवा चौथ की पूजा कर व्रत कथा का पाठ करें.
- फिर चंद्रमा की पूजा करें और चंद्र दर्शन करने के बाद अर्घ्य दें.
- पूजा के बाद पति को छलनी से देखकर आरती उतारें.
- फिर पति द्वारा पत्नी को पानी पिलाकर व्रत पारण किया जाता है.
करवा चौथ व्रत पारण विधि | Karwa Chauth Vrat Paran Vidhi
करवा चौथ के दिन व्रत का पारण चंद्रमा दर्शन कर अर्थ देने के बाद किया जाता है. करवा चौथ के दिन सुबह पूजा करने के बाद व्रत का पालन करते हुए चंद्रोदय तक का इंतजार किया जाता है. चंद्रोदय होने बाद भगवान शिव, भगवान गणेश, माता पार्वती और करवा माता की पूजा करें. उसके बाद चंद्रदेव की पूजा करें. विधि विधान से चंद्रमा को छलनी से देखने और अर्घ देने के बाद अपने पति को देखें. इसके बाद पति से आशीर्वाद लें और एक लोटे से पति के हाथ से पानी पिकर व्रत खोलें, उसके बाद कुछ मीठा खाएं.
करवा चौथ की मान्यता | Karva Chauth Ki Manyta
आजकल नए जमाने की लड़कियों को रीति रिवाजों की अधिक जानकारी नहीं होती है. उनके लिए अपनी परंपराओं को मान्यताओं को जानना जरूरी है. बहू को करवा चौथ व्रत की मान्यता के बारे में बताएं. उन्हें इस व्रत से जुड़ी कथा सुनाएं और इस दिन का महत्व बताएं. उन्हें बताएं कि चांद देखकर पूजा कैसे और क्यों होती है. पूजा की सही विधि, यह उपवास करने की मान्यता क्या है. ऐसा माना जाता है कि पूजा के दौरान करवा (मिट्टी का पात्र) का प्रयोग किया जाता है, जिसे पति की प्रतीकात्मक सुरक्षा के रूप में देखा जाता है. महिलाएं करवा को भगवान गणेश और चंद्रमा के सामने रखकर पूजा करती हैं. फिर चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथ से पानी पीकर व्रत का समापन करती हैं. पति पत्नी को आवश्यक रूप से विशेष उपहार देते हैं, इसमें आभूषण, कपड़े और अन्य उपहार शामिल होते हैं.