Bhagwan Bholenath Mandir: भगवान शिव का बेहद प्रिय सावन का महीना है. आप भी भगवान शिव के अभिषेक, दर्शन और पूजन के लिए शिव मंदिर तो जाते ही होंगे. आपको हर मंदिर के गर्भ गृह में बीच में शिवलिंग और पास में ही नंदी के साथ माता पार्वती, गणेश और कार्तिकेय जी भी बैठे मिलेंगे. लेकिन, दुनिया का शायद इकलौता शिव मंदिर वृंदावन में है, जहां भोलेनाथ तो गर्भ गृह में विराजमान हैं और माता पार्वती दरवाजे के बाहर बैठकर उनके बाहर निकलने का इंतजार कर रही हैं.
इस महारास में भगवान कृष्ण अकेले पुरुष थे, जबकि उनके साथ लाखों गोपियां थीं. भगवान शिव ने भी महारास में घुसने की कोशिश की, लेकिन गोपियों ने उन्हें दरवाजे पर ही रोक दिया. उस समय भगवान शिव ने एक गोपी की ही सलाह पर स्त्री रूप धारण किया, साड़ी पहनी, नाक में बड़ी सी नथुनी पहनी, कानों में बाली पहनी और 16 श्रृंगार किए. इसके बाद वह महारास में शामिल हो पाए.
भोलेनाथ का पीछा करते वृंदावन पहुंची पार्वती
भागवत महापुराण के मुताबिक उस समय भगवान शिव पहली बार माता पार्वती को बिना बताए कैलाश से बाहर निकले थे. जैसे ही इसकी खबर माता पार्वती को हुई, वह भी भगवान शिव का पीछा करते हुए वृंदावन पहुंच गईं. यहां उन्होंने देखा कि बाबा नथुनिया वाली गोपी बने हैं और भगवान कृष्ण के साथ गलबहियां कर रास रचा रहे है. यह देखकर माता पार्वती भी मोहित हो गईं. उन्होंने भी सोचा कि वह भी दर जाकर महारास में शामिल हो जाएं, लेकिन उन्हें डर था कि बाबा तो अंदर जाकर पुरूष से स्त्री बन गए, यदि वह भी स्त्री से पुरुष बन गईं तो क्या होगा.
गर्भ गृह के बाहर बैठकर इंतजार कर रही हैं माता
यही सोच कर माता पार्वती बाहर दरवाजे पर ही बैठकर बाबा को बाहर बुलाने के लिए इशारे करने लगीं. उस समय बाबा ने भी साफ कह दिया कि इस रूप में तो अब वह यहीं रहेंगे. तब से भगवान शिव साक्षात गोपेश्वर महादेव के रूप में यहां विराजमान हैं और गर्भगृह के बाहर माता पार्वती उनके इंतजार में बैठी हैं. आज भी समय समय पर बाबा नथुनिया पहन कर गोपी बनते हैं. खासतौर पर शरद पूर्णिमा की रात यानी महारास के दिन बाबा 16 श्रृंगार धारण करते हैं. वैसे तो सावन में सभी शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की खासी भीड़ उमड़ती है, लेकिन भोलेनाथ के इस मंदिर में सबसे ज्यादा श्रद्धालु शरद पूर्णिमा को आते हैं.