Skip to content
Home » ASMR क्या है? जिसकी वीडियो देखते ही आ जाती है नींद!

ASMR क्या है? जिसकी वीडियो देखते ही आ जाती है नींद!

ASMR: मौजूदा समय में यूट्यूब पर कई लोगों ने कैमरे के सामने हल्की आवाज में बोलते हुए किसी महिला या पुरुष की वीडियोज जरूर देखी होगी. ये लोग कोई खास दिलचस्प काम नहीं करते हैं. बस सॉफ्ट साउंड्स और हैंड मूवमेंट के जरिए लोगों को सुलाने का काम करते हैं. इंटरनेट पर एएसएमआर सर्च करने पर आपको इससे जुड़ी कई तरह की तमाम वीडियो मिल जाएंगी. जो लोग इसके बारे में नहीं जानते हैं, वो वाकई ये पढ़कर जरूर हैरान हो रहे होंगे कि आखिर किसी की आवाज से नींद कैसे आ सकती है?

तो वेलकम टू द वर्ल्ड ऑफ एएसएमआर. चलिए इसे हम एक्सपर्ट से समझने की कोशिश करते हैं. नोएडा एक्सटेंशन के यथार्थ हॉस्पिटल में साइकेट्री डिपार्टमेंट में कंसल्टेंट डॉ. सरस प्रसाद कहते हैं कि एएसएमआर का पूरा नाम autonomous sensory meridian response है. इंटरनेट की इस दुनिया में ऐसे तमाम एएसएमआर मेकर्स हैं, जो रोल प्ले, हैंड मूवमेंट्स और धीमी आवाजों के जरिए लोगों को बेहतर नींद देने को कोशिश करते हैं.

क्या है ASMR

डॉ. चंदन सिंह कहते हैं कि एएसएमआर थेरेपी लोगों को शांत करने का काम करती हैं यानी इससे लोगों का तनाव कम होता है. एएसएमआर मेकर्स कैमरे पर धीमी आवाजें, टैपिंग और हैंड मूवमेंट से तनाव कम करने वाले ट्रिगर की मदद से लोगों की सोने में मदद करते हैं. इसे देखने या सुनने वाले लोग रिलैक्स और शांत महसूस करते हैं. इसे सुनकर उन्हें आराम भी महसूस होता है.

यहां से आया ASMR

ASMR का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है. ऐसा माना जाता है कि साल 2010 में जेनिफल एलन नाम के शख्स ने इसकी खोज खोज की थी. इसके लिए उन्होंने एक डेडीकेटेड फेसबुक ग्रुप को बनाया, जिसके बाद से ये दूसरे लोग भी इसके बारे में जानने लग गए.

भारत में लाखों लिसनर्स

ये टेक्नीक कैसे काम करती है, इसको लेकर हमने भारत में एएसएमआर मेकर देव्या गुर्जर का कहना है कि विदेशों में ऐसी वीडियोज को खूब देखा और सुना जाता है. खुद उन्होंने कोविड के दौरान इसे बनाने की शुरूआत की थी. यूट्यूब पर एएसएमआर सर्च करने पर आपको ज्यादातर वीडियो इंग्लिश में ही देखने को मिलेंगी, लेकिन अब भारत में भी लोग इसे देखने लगे हैं. चूंकि इससे लोगों का तनाव कम होता है. ऐसे में भारत में भी लोग इसे हिंदी में बना रहे हैं.

कैसे करता है काम

डॉ. चंदन सिंह के मुताबिक, एएसएमआर का असर सभी लोगों पर नहीं दिखता है. ऐसा नहीं है कि ऐसी वीडियोज को सुनने या देखने वाले हर इंसान का तनाव कम होगा या नींद आ जाएगी. ये लोगों पर भी निर्भर करता है. लोगों को अलग-अलग ट्रिगर वर्ड या जेंटल हैंड मूवमेंट से रिलैक्स फील हो सकता है.

वहीं, देव्या गुर्जर कहती हैं कि कोरोना के दौरान लोगों ने एएसएमआर से जुड़ी तमाम वीडियोज को देखा. कुछ लोगों को धीमी आवाजें पसंद आती हैं. कई लोग किसी चीज पर टैपिंग साउंड को पसंद करते हैं तो कुछ लोग हैंड मूवमेंट को देखते हुए स्ट्रेस फ्री फील करते हैं. डॉ. चंदन कहते हैं कि इससे पैरा-सिंपेथैटिक नर्वस सिस्टम स्टिमुलेट होता है, जिसकी वजह से हमारी बॉडी और दिमाग शांत महसूस करता है.

लोग क्यों सुन रहे हैं?

ज्यादातर लोग एएसएमआर वीडियोज को स्ट्रेस रिलीज करने और फोकस बढ़ाने के लिए भी सुनते हैं. मौजूदा दौर में एएसएमआर मेकर्स ऐसी तमाम वीडियोज बनाकर लाखों व्यूज बटोर रहे हैं. बेशक ASMR से तनाव कम होता है लेकिन इसे बार-बार सुनने की आदत भी लग जाती है. देव्या कहती हैं कि ऐसा नहीं है कि आप ASMR के बिना सो नहीं सकते हैं. इसके बिना भी आप अच्छी नींद ले सकते हैं और तनाव कम कर सकते हैं. इससे लोगों को खूब राहत मिलेगी.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *