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Karwa Chauth 2024: इस साल 2024 में कब है करवा चौथ का व्रत? जानें चंद्रमा की पूजा का शुभ मुहूर्त

Karwa Chauth Kab Hai 2024: करवा चौथ का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. शादीशुदा महिलाएं और वे लड़कियां, जिनकी शादी तय हो चुकी है, वे करवा चौथ का व्रत रखती हैं. यह व्रत कठिन होता है. इसमें सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक जल, अन्न और फल कुछ नहीं खाया जाता है. हिंदू धर्म में इस व्रत का खास महत्व होता है. सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छी सेहत के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं.

बता दें कि करवा चौथ व्रत पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत करने वाला एक बेहद महत्वपूर्ण त्योहार है. आजकल कुंवारी कन्याएं भी अपने लिए अच्छा वर पाने के लिए करवा चौथ का व्रत करती हैं. इस व्रत में गणेश जी के साथ करवा माता की पूजा की जाती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि साल 2024 में करवा चौथ का व्रत कब है, करवा चौथ पूजा मुहूर्त क्या है, चंद्र अर्घ्य समय क्या है और करवा चौथ व्रत का महत्व क्या है.

2024 में कब है करवा चौथ? | Karwa Chauth Kab Hai 2024

हिंदू पंचाग के अनुसार, इस साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर दिन रविवार को सुबह 6 बजकर 46 मिनट से शुरू होगी और यह तिथि 21 अक्टूबर को प्रातः 4 बजकर 16 मिनट तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार करवा चैथ का व्रत 20 अक्टूबर रविवार को किया जाएगा.

करवा चौथ 2024 पूजा मुहूर्त | Karwa Cuahth Puja Muhurat

इस साल करवा चौथ के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 202 अक्टूबर की शाम 5 बजकर 46 मिनट से शाम 7 बजकर 02 मिनट तक रहेगा. उस दिन महिलाओं को पूजा के लिए लगभग सवा घंटे का समय मिलेगा.

करवा चौथ 2024 व्रत की अवधि | Karwa Chauth Vrat Time

करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से शुरू होकर चंद्रोदय होने पर चांग को अर्घ्य देने के बाद पारण से खत्म होता है. इस साल व्रती को करवा चौथ के दिन लगभग 13 घंटे 29 मिनट तक निर्जला व्रत रहना पड़ेगा. यह व्रत 20 अक्टूबर सुबह 6 बजकर 25 मिनट से शाम 7 बजकर 54 मिनट तक होगा.

करवा चौथ 2024 चंद्र अर्घ्य का समय | Karwa Chauth Chand Time

20 अक्टूबर को चंद्रोदय शाम 7 बजकर 54 मिनट पर होगा. चांद के निकलने पर अर्घ्य देने का विधान है और उसके बाद व्रती पारण करके व्रत को पूरा करती हैं.

करवा चौथ पूजा सामग्री | Karwa Chauth Puja Samagri

मिट्टी या तांबे का करवा और ढक्कन, पान, सींक, कलश, अक्षत, चंदन, फल, पीली मिट्टी, फूल, हल्दी, लकड़ी का आसान,, देसीघी,कच्चा, दूध, दही, शहद, शक्कर का बूरा, रोली, मौली, मिठाई, चलनी या चलनी आदि.

करवा चौथ पूजा विधि | Karwa Chauth Puja Vidhi

  • करवा चौथ के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान आदि करके सूर्योदय से पहले सरगी का सेवन करें. देवी देवताओं को प्रणाम कर व्रत रखने का संकल्प लें.
  • करवा चौथ में विशेष तौर पर संध्या पूजन किया जाता है. शाम से पहले ही गेरू से फलक पूजा स्थान पर बना लें.
  • फिर चावल के आटे से फलक पर करवा का चित्र बनाएं. इसके बजाय आप प्रिंटेड कैलेंडर का इस्तेमाल भी कर सकती हैं.
  • संध्या के समय शुभ मुहूर्त में फलक के स्थान पर चौक स्थापित करें. अब चौक पर भगवान शिव और मां पार्वती के गोद में बैठे प्रभु गणेश के चित्र की स्थापना करें.
  • मां पार्वती को श्रृंगार सामग्री अर्पित करें और मिट्टी के करवा में जल भर कर पूजा स्थान पर रखें.
  • अब भगवान श्री गणेश, मां गौरी, भगवान शिव और चंद्र देव का ध्यान कर करवा चौथ व्रत की कथा सुनें.
  • चंद्रमा की पूजा कर उन्हें अर्घ्य दें. फिर छलनी की ओट से चंद्रमा को देखें और उसके बाद अपने पति का चेहरा देखें.
  • इसके बाद पति द्वारा पत्नी को पानी पिलाकर व्रत का पारण किया जाता है. घर के सभी बड़ों का आशीर्वाद लेना न भूलें.

करवा चौथ के व्रत की कथा | Karwa Chauth Ki Vrat Katha

1. करवा चौथ की कहानी है कि, देवी करवा अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के पास रहती थीं. एक दिन करवा के पति नदी में स्नान करने गए तो एक मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया और नदी में खींचने लगा. मृत्यु करीब देखकर करवा के पति करवा को पुकारने लगे. करवा दौड़कर नदी के पास पहुंचीं और पति को मृत्यु के मुंह में ले जाते मगर को देखा. करवा ने तुरंत एक कच्चा धागा लेकर मगरमच्छ को एक पेड़ से बांध दिया. करवा के सतीत्व के कारण मगरमच्छ कच्चे धागे में ऐसा बंधा की टस से मस नहीं हो पा रहा था. करवा के पति और मगरमच्छ दोनों के प्राण संकट में फंसे थे.

करवा ने यमराज को पुकारा और अपने पति को जीवनदान देने और मगरमच्छ को मृत्युदंड देने के लिए कहा. यमराज ने कहा मैं ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि अभी मगरमच्छ की आयु शेष है और तुम्हारे पति की आयु पूरी हो चुकी है. क्रोधित होकर करवा ने यमराज से कहा कि अगर आपने ऐसा नहीं किया तो मैं आपको श्राप दे दूंगी. सती के शाप से भयभीत होकर यमराज ने तुरंत मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया और करवा के पति को जीवनदान दिया. इसलिए करवाचौथ के व्रत में सुहागन स्त्रियां करवा माता से प्रार्थना करती हैं कि हे करवा माता जैसे आपने अपने पति को मृत्यु के मुंह से वापस निकाल लिया वैसे ही मेरे सुहाग की भी रक्षा करना.

2. करवा माता की तरह सावित्री ने भी कच्चे धागे से अपने पति को वट वृक्ष के नीचे लपेट कर रख था. कच्चे धागे में लिपटा प्रेम और विश्वास ऐसा था कि यमराज सावित्री के पति के प्राण अपने साथ लेकर नहीं जा सके. सावित्री के पति के प्राण को यमराज को लौटाना पड़ा और सावित्री को वरदान देना पड़ा कि उनका सुहाग हमेशा बना रहेगा और लंबे समय तक दोनों साथ रहेंगे.

3. एक साहूकार के 7 लड़के और एक लड़की थी. एक बार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सेठानी सहित उसकी सातों बहुएं और उसकी बेटी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा. रात्रि के समय जब साहूकार के सभी लड़के भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन कर लेने को कहा. इस पर बहन ने कहा कि भाई, अभी चांद नहीं निकला है. चांद के निकलने पर उसे अर्ध्य देकर ही मैं आज भोजन करूंगी.

साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे, उन्हें अपनी बहन का भूख से व्याकुल चेहरा देख बेहद दुःख हुआ. साहूकार के बेटे नगर के बाहर चले गए और एक पेड़ पर चढ़ कर अग्नि जला दी. घर वापस आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा कि देखो बहन, चांद निकल आया है. अब तुम अर्ध्य देकर भोजन ग्रहण करो. साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों से कहा कि देखों, चांद निकल आया है, तुम लोग भी अर्ध्य देकर भोजन कर लो.

ननद की बात सुनकर भाभियों ने कहा कि बहन अभी चांद नहीं निकला है, तुम्हारे भाई धोखे से अग्नि जलाकर उसके प्रकाश को चांद के रूप में तुम्हें दिखा रहे हैं. साहूकार की बेटी अपनी भाभियों की बात को अनसुनी करते हुए भाइयों द्वारा दिखाए गए चांद को अर्ध्य देकर भोजन कर लिया. इस प्रकार करवा चौथ का व्रत भंग करने के कारण विध्नहर्ता भगवान श्री गणेश साहूकार की लड़की पर अप्रसन्न हो गए.

गणेश जी की अप्रसन्नता के कारण उस लड़की का पति बीमार पड़ गया और घर में बचा हुआ सारा धन उसकी बीमारी में लग गया. साहूकार की बेटी को जब अपने किए हुए दोषों का पता लगा तो उसे बहुत पश्चाताप हुआ. उसने गणेश जी से क्षमा प्रार्थना की और फिर से विधि-विधान पूर्वक चतुर्थी का व्रत शुरू कर दिया. उसने उपस्थित सभी लोगों का श्रद्धानुसार आदर किया और तदुपरांत उनसे आर्शीवाद ग्रहण किया.

इस प्रकार उस लड़की की श्रद्धा-भक्ति को देखकर एकदंत गणेश जी उस पर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवनदान दिया. उसे सभी प्रकार के रोगों से मुक्त करके धन, संपत्ति और वैभव से युक्त कर दिया. इस प्रकार यदि कोई भी छल-कपट, अंहकार, लोभ, लालच को त्याग कर श्रद्धा और भक्ति भाव पूर्वक चतुर्थी का व्रत पूर्ण करता है, तो वह जीवन में सभी प्रकार के दुखों और क्लेशों से मुक्त होता है और सुखमय जीवन व्यतीत करता है.

करवा चौथ व्रत का महत्व | Karwa Chauth Significance

करवा चौथ का व्रत सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखती हैं. वहीं, जिनकी शादी तय हो गई है, वे युवतियां भी यह व्रत रखती हैं. विवाह योग्य युवतियां इस व्रत को योग्य पति की कामना के लिए रखती हैं. इस व्रत में भगवान गणेश, माता पार्वती और शिव जी की पूजा कै विधान है. इनके आशीर्वाद से व्रती को अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है.

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