Skip to content
Home » पूजा के लिए इस ​मंदिर में पुरुषों को क्यों करना पड़ता है 16 शृंगार, नहीं मिलती है एंट्री!

पूजा के लिए इस ​मंदिर में पुरुषों को क्यों करना पड़ता है 16 शृंगार, नहीं मिलती है एंट्री!

Kottankulangara Devi Temple In Kerala: देश में तीर्थ स्थानों में पूजा पाठ को लेकर कई अलग अलग नियम और परंपराएं हैं. पूजा को लेकर विशेष नियम हैं. कई मंदिरों में ड्रेस कोड (Dress Code) लागू हैं तो वहीं कुछ मंदिर ऐसे भी हैं, जहां पर महिला या पुरुषों के प्रवेश पर मनाही है. इन्हीं सबसे अलग केरल में एक ऐसा मंदिर है, जिसमें पुरुषों को प्रवेश करने के लिए महिलाओं का रूप धारण करना पड़ता है. इतनी ही नहीं उन्हें महिलाओं की तरह 16 श्रृंगार करना पड़ता है. उसके बाद ही मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति है.

केरल के कोल्लम जिले में स्थित यह मंदिर श्री कोत्तानकुलांगरा देवी का है. इसमें सिर्फ महिलाओं और किन्नरों को ही प्रवेश मिलता है, वहीं पुरुष भी इस मंदिर में प्रवेश कर माता रानी की पूजा-अर्चना करते हैं. इससे माता रानी सभी की मनोकामना को पूर्ण करती हैं, लेकिन पुरुषों को मंदिर में प्रवेश के लिए महिलाओं की तरह 16 श्रृंगार करने के बाद ही एंट्री मिलती है. इसके लिए पुरुषों को साड़ी पहनने से लेकर 16 श्रृंगार अनिवार्य होता है. इसी के बाद उन्हें मंदिर में माता की पूजा करने का अवसर प्राप्त होता है.

इस दिन विशेष रूप से होती है पूजा

श्री कोत्तानकुलांगरा देवी मंदिर में हर वर्ष चाम्याविलक्कू का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. देवी में विशेष आस्था रखने वाले भक्त देश के अलग अलग हिस्सों आते हैं. इनमें बड़ी संख्या में पुरुष और किन्नर आते हैं, जो इस दिन मंदिर में प्रवेश के लिए न सिर्फ महिलाओं के कपड़े धारण करते हैं. बल्कि श्रृंगार करते हैं. इसके लिए मंदिर में ही एक अलग मेकअप रूप की व्यवस्था है, जहां पुरुष और किन्नर जाकर महिलाओं के कपड़े और श्रृंगार कर भगवान की पूजा अर्चना और मनोकामना करते हैं. माना जाता है कि माता रानी जल्द प्रसन्न होकर मनोकामना की पूर्ति करती हैं.

उम्र का नहीं है कोई बंधन

बताया जाता है कि माता की इस पूजा अर्चना में कोई भी पुरुष या किन्नर महिलाओं का 16 श्रृंगार कर पूजा में शामिल हो सकता है. इसके लिए कोई उम्र की बाधा नहीं है. किसी भी उम्र के लोग माता की पूजा कर सकते हैं. कहा जाता है कि श्री कोत्तानुकलांगरा देवी मंदिर में गर्भगृह के ऊपर छत और कलश नहीं है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां माता रानी खुद प्रकट हुई थीं. माता रानी की पूजा अर्चना के लिए यहां किन्नरों की भारी भीड़ एकत्र होती है.

[Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हिंन्दी न्यूज ग्रो इसकी पुष्टि नहीं करता है.]

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *