Sawan Shivratri Shubh Muhurat: सावन की शिवरात्रि हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और खास मानी जाती है. यह पर्व श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. यह अवसर भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होता है. इस दिन, भक्तगण उपवास रखकर शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, और बेलपत्र चढ़ाते हैं, और पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करते हैं.
सावन की शिवरात्रि का पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी दिखाता है. माना जाता है कि इस दिन पूजा-अर्चना करने से भगवान शिव और माता पार्वती प्रसन्न होकर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और उनपर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं. इस दिन व्रत रखने से भक्तजनों को सुख, शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. अखंड सौभाग्य और संतान प्राप्ति की कामना के लिए ये व्रत रखा जाता है.
जलाभिषेक और पूजा का शुभ मुहूर्त
सावन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 2 अगस्त 2024 की दोपहर 3 बजकर 26 मिनट पर होगा और इसका समापन अगले दिन, 3 अगस्त को दोपहर के 3 बजकर 50 मिनट पर होगा. शिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा अर्चना निशिता काल में करना सबसे शुभ और उत्तम माना जाता है. मान्यता है कि निशिता काल के दौरान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
ये 42 मिनट हैं सबसे ज्यादा शुभ
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सावन शिवरात्रि के दिन निशिता काल में भोलेनाथ की पूजा का शुभ समय देर रात 12 बजकर 6 मिनट से लेकर रात के 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. इसलिए इस शिवरात्रि पर भोलेनाथ की पूजा अर्चना करने के लिए भक्तों को 42 मिनट का शुभ समय मिलेगा.
सावन शिवरात्रि व्रत पारण का समय
सावन शिवरात्रि के व्रत का पारण शिवरात्रि के अगले दिन 3 अगस्त 2024 को किया जाएगा. व्रत का पारण करने का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 43 मिनट से लेकर दोपहर के 3 बजकर 48 मिनट तक रहेगा.
भगवान शिव की पूजा अर्चना और जलाभिषेक करने की विधि
शिवरात्रि पर शिवलिंग का अभिषेक करने के लिए सबसे पहले गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करें. भगवान शिव का अभिषेक लोटे से ही करना चाहिए. इसके बाद कच्चे दूध से अभिषेक करें. अब सामान्य जल से अभिषेक करें. आप अपनी इच्छा के अनुसार, पीतल के लोटे में दूध, दही, शहद, गंगाजल और जल मिलकर पंचामृत बना सकते हैं और इस पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक कर सकते हैं.
अभिषेक करने के दौरान ॐ नमः शिवाय मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें. शिवलिंग का अभिषेक करने के बाद शिवलिंग पर भांग, धतूरा, बेलपत्र, शमी के पत्ते, पुष्प और फल आदि अर्पित करें. अब भगवान शिव के सामने धूप और दीपक जलाएं. इस दौरान भी मंत्र जाप या शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए. पूजा का समापन भोलेनाथ की आरती के साथ करें.