Hariyali Amavasya 2024: हिन्दू धर्म में हरियाली अमावस्या का पावन पर्व 4 अगस्त दिन रविवार को बड़े ही उत्साह से मनाया जाएगा. हरियाली अमावस्या को श्रावण अमावस्या या सावन आमवस्या भी कहा जाता है क्योंकि यह सावन माह की अमावस्या तिथि को होती है. हरियाली अमावस्या के अवसर पर आप कुछ उपाय करके अपने पितरों को खुश कर सकते हैं. इसके अलावा कुंडली से जुड़े ग्रह दोष को दूर कर सकते हैं.
मान्यता है कि यदि आप इस दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए घर में या आस-पास कुछ पौधे लगाते हैं तो उनका आशीर्वाद सदैव आपके घर में बना रहता है. हरियाली अमावस्या पर पेड़-पौधे लगाना पूर्वजों के प्रति सम्मान दिखाने और परिवार में सौभाग्य लाने का एक आसान उपाय है. यह प्रकृति से जुड़ने का भी एक तरीका माना जाता है.
इन बातों का रखें खास ध्यान
- ऐसी मान्यता है कि हरियाली अमावस्या पर पितरों के नाम से पौधे लगाना बहुत ही शुभ माना जाता है, इससे पूर्वजों की कृपा बनी रहती है. इसलिए हरियाली अमावस्या पर सेवंती, अगस्त, तुलसी, भृंगराज, शमी, आंवला, श्वेत-पुष्प आदि के पौधे लगाना शुभ होगा.
- हरियाली अमावस्या के दिन भगवान शिव को सफेद आंकड़े के फूल, बिल्व पत्र और भांग, धतूरा चढ़ाएं, इससे शिव जी की कृपा से आपके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे.
- अगर किसी कन्या के विवाह में बाधाएं आ रही हैं तो हरियाली अमावस्या पर शिव और पार्वती की पूजा करें, उन्हें लाल रंग के वस्त्र ओढ़ाएं. वहीं विवाहित स्त्रियों को हरियाली अमावस्या पर हरी चूड़ियां, सिंदूर, बिंदी आदि सुहाग का सामान दान करना चाहिए. इससे पति की आयु लंबी होगी और घर में खुशहाली आएगी.
- हरियाली अमावस्या के दिन व्रत रखना भी अच्छा माना जाता है. इससे भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होने के साथ पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए किसी जरूरतमंद को सफेद अन्न का दान करना शुभ माना जाता है.
- हरियाली अमावस्या पर काले तिल का दान करने एवं शिवलिंग पर इसे अर्पण करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. इससे पूर्वजों का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसके अलावा हरियाली अमावस्या पर किसी मंदिर में लाल कपड़े में नारियल लपेटकर रख आएं. ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी होती हैं.
पितृदोष से ऐसे पाएं मुक्ति
कुंडली में पितृदोष होने से लोगों के जीवन में तनाव बना रहता है और मांगलिक कार्यो में बाधाएं आती हैं. ऐसे में अमावस्या पर पितरों की शांति दक्षिणाभिमुख होकर तर्पण करना चाहिए. इससे पितृदोष से मुक्ति मिलती है. इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान के बाद तर्पण करें और फिर पितृसूक्त का पाठ करें. इस दिन अन्न दान से पूर्वजों की आत्मा तृप्त होती है. इस दिन किसी जरूरतमंदों को चावल, गेहूं, ज्वार की धानि का दान करें और साथ ही ब्राह्रणों को भोजन कराएं. इससे पितरों को अवश्य शांति मिलेगी.