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कुंडली में है दोष तो सावन शिवरात्रि पर ऐसे करें पूजा, जीवन में नहीं आएगा कष्ट!

Sawan Shivratri 2024: भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने और हर तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए हर साल सावन शिवरात्रि का पर्व बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है. इस साल सावन शिवरात्रि का पर्व 2 अगस्त को मनया जाएगा. मान्यता है कि सावन शिवरात्रि के मौके पर भगवान शिव और देवी पार्वती की पूरे विधि-विधान से पूजा करने पर लोगों को मनोकामनाएं जल्द ही पूरी होती हैं. इस दिन सभी शिवभक्तों के लिए शिव-आराधना और पूजा-पाठ करना बहुत ही शुभ और फलदायी माना जाता है.

पुराणों के अनुसार, सावन शिवरात्रि के दिन शिवमंदिरों में शिवलिंग का जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, बेलपत्र, गंगाजल, भांग-धतूरा के साथ शिवजी के मंत्रों का जाप किया जाता है. जिससे शिव भक्तों को व्यक्ति के जीवन में दुखों की कमी और कुंडली में मौजूद सभी तरह के दोष खत्म हो जाते हैं. अगर किसी की कुंडली में कालसर्प दोष लगा है तो वह भी दूर हो जाता है.

पंचांग के अनुसार, इस बार सावन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 2 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 26 मिनट से शुरू होगी और 3 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, सावन शिवरात्रि 2 अगस्त दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी.

कुंडली में कब बनता है कालसर्प दोष?

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु के बीच कोई अन्य ग्रह आ जाता है तो इसे कालसर्प दोष माना जाता है. हिन्दू धर्म में इस कालसर्प दोष को बहुत ही अशुभ माना गया है. कालसर्प दोष होने से व्यक्ति छोटी-छोटी चीजों के बारे में सोचकर घबराने लगता है. उसके मन में हमेशा डर बना रहता है. इसके अलावा कालसर्प दोष होने पर व्यक्ति के शादीशुदा लाइफ में भी कई तरह की परेशानियां आती हैं.

शिवजी की पूजा से दूर होता है कालसर्प दोष

जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है उनके लिए इस दोष से छुटकारा पाने के लिए सावन शिवरात्रि पर भगवान शिव की आराधना करना बहुत ही आवश्यक होता है. कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए सावन शिवरात्रि के दिन उज्जैन के महाकालेश्वर, नासिक के त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग और प्रयागराज में तक्षकेश्वर महादेव के मंदिर में पूजा, आराधना और रुद्राभिषेक करने से कुंडली से कालसर्प दोष का प्रभाव कम या खत्म हो जाता है. सावन शिवरात्रि पर कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र, रुद्राभिषेक और शिवजी को चांदी के नागों का जोड़ा अवश्य चढ़ाना चाहिए.

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