Vaishakh Purnima 2024: हिंदू धर्म में वैशाख माह की पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है. वैशाख माह की पूर्णिमा को पीपल पूर्णिमा और बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस साल वैशाख पूर्णिमा 23 मई दिन गुरुवार को पड़ रही है. पूर्णिमा के दिन स्नान-दान का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.
शास्त्रों के अनुसार, वैशाख पूर्णिमा के दिन पीपल की पूजा करना बहुत ही फलदायी होता है. मान्यता है कि इस दिन पीपल की पूजा करने से लोगों पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है. इसके साथ ही पितर भी संतुष्ट होते हैं. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन पेड़ लगाने से बृहस्पति ग्रह के बुरे प्रभावों से लोगों को मुक्ति मिलती है.
हिंदू धर्म शास्त्रों में साल की सभी बारह पूर्णिमा तिथियों का विशेष महत्व है, लेकिन वैशाख माह में श्रीहरि के साथ पीपल-वृक्ष की भी पूजा की जाती है, क्योंकि पीपल के पेड़ पर श्रीहरि का निवास होता है, इसलिए वैशाख पूर्णिमा को बहुत पवित्र एवं शुभ माना जाता है.
पीपल के पेड़ की पूजा से होंगे ये फायदे
- धार्मिक मान्यता है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने से लोगों की कुंडली में शनि, गुरु और अन्य ग्रह भी शुभ फल देने लगते हैं.
- पीपल के पेड़ में तीन देवताओं- ब्रह्मा, विष्णु, महेश का वास होता है. सुबह उठकर इस पर जल अर्पित करने, पूजा करने और दीपक जलाने से तीनों देवताओं की कृपा मिलती है.
- पीपल के पेड़ पर पानी में दूध और काले तिल मिलाकर अर्पित करने से पितर संतुष्ट होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है. मान्यता है कि इस पेड़ पर सुबह के समय पितरों का भी वास होता है.
- सूर्योदय के बाद मां लक्ष्मी का वास होता है और इसलिए सूर्योदय के बाद पीपल की पूजा करने से परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है.
- पीपल पूर्णिमा पर शुभ कार्य किए जाते हैं. इस दिन अबूझ साया होता है. सुबह पीपल के पेड़ की पूजा के बाद दिन में किसी भी समय कोई भी मांगलिक या शुभ कार्य किया जा सकता है.
पीपल पूर्णिमा का महत्व
मान्यता है कि अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में विधवा योग हो तो पहले पीपल या घड़े से शुभ लग्न में उसकी शादी करवाने से उसका वैधव्य योग समाप्त हो जाता है. ऐसा करने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव भगवान विष्णु ग्रहण कर लेते हैं. पीपल पूर्णिमा के दिन सूर्योदय के बाद पीपल के पेड़ में जल अर्पित करें. इसके बाद पेड़ की 3 परिक्रमा लगाएं. ऐसा करने से गुरू और शनि ग्रह शुभ फल देते हैं और लोगों को जीवन में आने वाले कष्टों से छुटकारा मिलता है.